वीडियो जानकारी:
प्रसंग:
दूसरों की सुनना गुलामी है लकिन अपने मन की सुनना उससे भी बढ़ी गुलामी है।
अपनी सुनना गुलामी कैसे?
इस गुलामी से आज़ादी कैसे?
जानने के लिए इस वीडियो से ना चूकें!
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आचार्य प्रशांत
शब्दयोग सत्संग
१४ फ़रवरी २०१५
ए.के.जी.ई.सी. कॉलेज, गाज़ियाबाद
संगीत: मिलिंद दाते